बीत गए कितने ही मौसम,
दिन गुजरे और सालों बीते
हम कितने खुशकिस्मत है
कि अपने मधुमास ना बीते,
जब आए थे जीवन में मेरे,तुमसे कोई पहचान न थी,
हमराह चुना तुमने मुझको,तब भी मैं नादान ही थी,
फिर जब हाथ थामकर,साथ साथ हम चल निकले,
तब जीवन के कितने ही,आज गए और कल बीते,.....
बीत गए कितने ही मौसम,
दिन गुजरे और सालों बीते
हम कितने खुशकिस्मत है
कि अपने मधुमास ना बीते,
कितने सपने साथ बुने,कितनी खुशियों के फूल चुने,
कितने सुख बांटें हमने,जब अपनी बगिया में फूल खिले,
जब भी गम के बादल छाए,कभी हम दोनो के हाथ न छूटे,
रूठते-मनाते,लड़ते-झगड़ते,कितने अच्छे हर पल बीते,.....
बीत गए कितने ही मौसम,
दिन गुजरे और सालों बीते
हम कितने खुशकिस्मत है
कि अपने मधुमास ना बीते,
अब यही है मेरा सपना,साथ यूही बना रहे अपना,
खिला खिला रहे हरदम,ये उपवन जो सींचा है हमने,
धूप रहे या छांव मिले,पर कोई भी फूल न मुरझाए,
बस ऐसे ही संग संग अपना,आने वाला हर कल बीते,
बीत गए कितने ही मौसम,
दिन गुजरे और सालों बीते
हम कितने खुशकिस्मत है
कि अपने मधुमास ना बीते,....प्रीति सुराना
waaaaaaaaaaah khub
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