Thursday, 7 March 2013

आपको क्या लगता है,..................???????,


सब कहते हैं 
दोस्त और अपनों से
कैसा "थैंक्स" और कैसा "सॅारी"

पर कभी सोचा
कि कोई खुशी देने वाला 
या कोई दर्द देनेवाला
कोई अपना ही होता है,....

मैं सोचती हूं
जब हमें गैरों से
न कोई अपेक्षा होती  न रिश्ता तो
कैसा "थैंक्स" और कैसा "सॅारी"

मुझे लगता है 
अपनो से कुछ पाया तो आभार 
और अपनो का दिल दुखाया तो 
क्षमा दूरियां मिटाती है

जब अपनों से 
हम ये औपचारिकता वाजिब नही मानते 
औरजब गैरों से 
नजीकियों या दूरियों  की परवाह नही 

तो 
ये औपचारिता गैरों से ही क्यूं...?????
आपको क्या लगता है,..................???????,....प्रीति सुराना

11 comments:

  1. अति सुन्दर लिखा है..

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  2. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति .
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

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  3. मुझे लगता है
    अपनो से कुछ पाया तो आभार
    और अपनो का दिल दुखाया तो
    क्षमा दूरियां मिटाती है
    सुन्दर सोच
    आप भी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
    latest postअहम् का गुलाम (भाग एक )
    latest post होली

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  4. बात तो बिलकुल सही है .....वाकई
    एक नजर इधर भी डालेगीं .मेरे ब्लॉग (स्याही के बूटे) पर ..आपका स्वागत है
    http://shikhagupta83.blogspot.in/

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  5. मुझे लगता है
    अपनो से कुछ पाया तो आभार
    और अपनो का दिल दुखाया तो
    क्षमा दूरियां मिटाती है
    कुछ अच्‍छा सोचा जाये तो उसमें बुरा क्‍या है ...

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