Tuesday, 5 March 2013

आंसुओं का सैलाब,


कुछ जख्म
ऐसे होते हैं
जो दिखते नही
पर दर्द
बेइंतहा होता है,
लहू रिसता
दिखता नही,
पर जख्म
गहरा होता है,
हाल बिलकुल
वैसे ही होते है घायल के,
जैसे कोई मुस्कुराता हुआ,
खुबसूरत चेहरा,
अपने भीतर
आंसुओं का सैलाब,
हंसी के लिबास मे छुपाकर,
दिल ही दिल में
जार जार रोता है,...प्रीति सुराना

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