रंग बिरंगी प्रकृति और मन भी
लाल धरती और गुस्सा भी,
पर दोनों को सहना पड़ता है,...
हरी वनस्पति और खुशहाली भी
पर दोनो को संभालना पड़ता है,..
नीला आसमान और ख्वाहिशें भी
पर दोनों ही अपरिमित हैं,..
गुलाबी मौसम और प्यार भी
पर दोनों ही मनमोहक हैं,..
सफेद हिम और सच भी
पर दोनो ही ठोस होते हैं,..
काली अमावस्या और झूठ भी
पर दोनों का अंत सुखद होता है
बेरंग पानी और आंसू भी
पर दोनों जीवन में जरूरी है
रंगहीन हवा भी और खुशियां भी
पर दोनों बस महसूस होती है
सतरंगी इंद्रधनुष भी और सपने भी
पर दोनों ही सुंदर लगते हैं
कभी सोचा रंग ही रंग है
जीवन के हर लम्हे में हर भाव में
जिन्हे जीने के लिए जरूरत है
बस खुद को इन रंगों से सराबोर करने की
यही याद दिलाने आते है शायद
ऱंग भरे बसंत फागुन और होली......
हर पल होली बन जाए हर जीवन के
यही है होली पर सबके लिए मेरी शुभकामना,.....प्रीति सुराना
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"
काली अमावस्या और झूठ भी
ReplyDeleteपर दोनों का अंत सुखद होता है
बहुत सही बात कही आपने।
सादर
वाह ......रंगों के पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
ReplyDeletelatest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteरंगोत्सव की शुभ कामनाएं ....
साभार ....
♥
गुलाबी मौसम और प्यार भी
दोनों ही मनमोहक हैं...
सतरंगी इंद्रधनुष भी और सपने भी
दोनों ही सुंदर लगते हैं...
रंग ही रंग है
जीवन के हर लम्हे में हर भाव में
जिन्हे जीने के लिए जरूरत है
बस खुद को इन रंगों से सराबोर करने की
यही याद दिलाने आते है शायद
ऱंग भरे बसंत फागुन और होली......
वाह वाऽह !
आदरणीया प्रीति सुराणा जी
सुंदर कविता के माध्यम से रंगों के महत्व को व्याख्यायित किया है आपने ...
आपको भी सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut bahut aabhari hun main apki ,.. apne hamesha mujhe protsahit kiya hai,..
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