Thursday, 28 February 2013

फरिश्ता ना बना


मुझे इस तरह् 
बेवजह 
फरिश्ता ना बना,..

बस 
मैं एक इंसान हूं 
मुझे इंसान ही रहने दे,..

यूं खुदाई के नाम पर
मुझे अपने सारे एहसास 
खोना गवारा नहीं,..

मुझमें 
प्यार,गुस्सा,नजाकत,
और मेरे अरमान रहने दे.....प्रीति सुराना

3 comments:

  1. सच है ....मनुष्य ही रहना है, जीवन के हर भाव की जीना है

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  2. क्यूँ पत्थर बनाने की जिद है तुझको ...क्यूँ दीवार में चुन कर सजाना है तुझको ...मेरा वजूद
    Please visit my blog and join me ...

    वो हलकी फुहार

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ......
    सादर , आपकी बहतरीन प्रस्तुती

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?

    ये कैसी मोहब्बत है

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