Sunday 27 January 2013

फिर जीना चाहती हूं मैं


हंसी
चांदनी

महक
हवा

कविता 
संगीत

वक्त
किस्मत

ये चंद शब्द सुने 
आज बहुत दिनों बाद

अचानक कुछ सपने जागे
और याद आया

एक लड़की थी
जो कभी खिलखिलाती थी,.

चलो न 
मैं एक बार फिर 

खुद को ढूंढना चाहती हू...
तम्हारे साथ...

फिर जीना चाहती हूं मैं
तुम्हारे लिए,..........प्रीति सराना

1 comment: