प्यार जब भी आया किसी की जिंदगी में,
यादों के बीज मन में बोकर गया है,..
प्यार जब भी गया किसी को छोड़कर,
हंसकर नहीं अकसर रोकर गया है...
आंसुओं का सैलाब जब भी है आया,
दिल के अरमान सारे डुबोकर गया है,..
दर्द कोई जब भी मिला है किसी को,
बेमौसम पलकें भिगोकर ही गया है,..
जब भी बहा किसी की आंखों से सावन,
खुशियों के निशां सारे धोकर गया है,..
न आने की जो बात कहकर गया है,
पर तू तो यहां खुद को खोकर गया है,..
मुझसे दूर बसर कैसे करेगा जिंदगी,
जो यंहा तू खुद मेरा होकर गया है,....प्रीति सुराना
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_9880.html
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