Sunday 25 November 2012

कुछ सपने चलो नए बुने


वक्त ने दी है सजा ये
कुछ पल चलो तनहा जिएं,

तनहाई के इन पलों में
कुछ यादें चलो अपनी गुने,

सुनते है दिन भर दुनिया की
कुछ बातें चलो खुद की सुने,

अभी जगमग है सितारे
कुछ देर चलो चांदनी पिएं,

दिन ढला और रात आई
कुछ सपने चलो नए बुने,.....प्रीति सुराना

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