सब कहते हैं
"आईना कभी झूठ नही बोलता"
मैं मुस्कुरा दी
यही सोचते-सोचते
आईने के सामने,..
पर आईना नही बता पाया
यूं बरबस लाई गई
मुस्कान के पीछे,...
मेरे आंसू,
मेरा दर्द,
मेरी तड़प,
मेरे सपने,
मेरी ख्वाहिशें,
मेरी यादें,
और इस तरह
एक ही पल में मैंने
सबको झुठला दिया,..
क्यूंकि आईना न जानता है,
न समझता है,
न महसूस करता है,
आईना बस वही बोलता है
जो वो देखता है,....................प्रीति सुराना
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