Saturday 3 November 2012

मुझे तुमसे प्रेम है


सुनो!

मैं जानती हूं
तुम कतराते हो
मुझसे ये कहने में
कि तुम्हे मुझसे प्रेम है
क्योंकि
तुम्हे लगता है
तुम्हारी स्वीकृति को
कमजोरी समझा जाएगा
खैर
तुम न भी कहो तब भी
मैं जानती हूं
समझती हूं
महसूस करती हूं
तुम्हारा प्रेम,..
क्यूकि 
तुम्हारी नजरों से
मेरे दूर होते ही
तुम्हारी छटपटाहट 
तुम्हारे चेहरे पर उभर आती
और
मैं ये सब 
इसलिए समझ पाती हूं
क्योकि तुमसे मेरा प्रेम 
मेरी कमजोरी जरूर है
पर 
मेरे कमजोर पलों में 
मेरी सबसे बड़ी ताकत है
तुम्हारा प्रेम
जो मुझे प्रेरित करता है
जीत कर तुम्हारे पास
लौटने को
इसलिए
लो मैं करती हूं स्वीकार
मुझे तुमसे प्रेम है
और 
तुम्हारा प्रेम
मेरी कमजोरी भी है
और ताकत भी,.....प्रीति सुराना

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