कवित्त छंद:-
अति मोहक मुस्कान मुख पर मंड़राए,
मनमोहक अंदाज़ तेरा ये विशेष है।
लगते वाचाल तेरे नटखट दो नयन,
मानों इनमें समाया प्रेम का संदेश है।
चुप रहकर भी तो सब कुछ कह देते,
फिर भी यूँ लगे जैसे अभी कुछ शेष है।
यूँ तो लगते हो नील गगन के चांद सदा,
पर आज तुम्हें देख नैन अनिमेष है।,.....प्रीति सुराना
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