Friday 12 October 2012

चौराहा


जब एक दोराहे पर मैं थी
तभी तुम भी खड़े थे अपने ही एक दोराहे पर
क्या पता था दोनों ही दोराहे
एक जगह पर मिलेंगे जंहा हम चौराहे पे होंगे
और इतना मुश्किल होगा
चुनना वो राह जंहा हमारी मंजिलें एक हों,....प्रीति सुराना

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