क्यूं सोचते है सब की मैं कुछ जानती नही,
क्या दुनिया से जुड़ी मेरी दास्तान नही है?
जरूरी तो नही कि करूं बखान अपने दर्द का,
जो करता नही शिकवा,क्या वो इंसान नही है?
जो मैं करती नही बातें देश के घोटालों की,
तो क्या मेरे भीतर भी कोई ईमान नही है?
भ्रष्ट नही हो तो करो भ्रष्टाचार की चर्चा,
देश भक्ति की बस क्या पहचान यही है?
ये मंहगाई,अशांति और बिगड़ा माहौल,
मौजूदा हालातों में जीना कोई वरदान नही है,..
ऐसा नही है कि गमो से मेरी पहचान नही है,
जिंदगी मेरी उतनी भी आसान नही है,...
सब सोचते होगे कि मैं रोती नही कभी,
पर जिंदगी में मेरी भी सिर्फ मुसकान नही है,..
क्या हुआ कि जो मैं करती हूं प्यार की बातें,
क्या प्यार करके जंहा में कोई परेशान नही है?,....प्रीति सुराना
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