आज आंखों से सारे सपने
एक एक कर बह गए
आंसुओं की हर बूंद के साथ,
आज मन बिलकुल सूना-सा है
पतझड़ के मौसम के बाद
सूखे पेड़ की तरह,
पर तभी
अचानक जाने कंहा से
तेरी यादों के बादल उमड़ आए
मेरे जीवन के आसमान में,
बदल गया मौसम
जाग गई नई उम्मीदें
फिर फूटेंगी कोपलें मन के सूने आंगन में,.....प्रीति सुराना
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