Friday, 28 September 2012

पतझड़ के मौसम के बाद


आज आंखों से सारे सपने 
एक एक कर बह गए 
आंसुओं की हर बूंद के साथ,
आज मन बिलकुल सूना-सा है 
पतझड़ के मौसम के बाद 
सूखे पेड़ की तरह,

पर तभी 

अचानक जाने कंहा से 
तेरी यादों के बादल उमड़ आए 
मेरे जीवन के आसमान में,
बदल गया मौसम 
जाग गई नई उम्मीदें 
फिर फूटेंगी कोपलें मन के सूने आंगन में,.....प्रीति सुराना

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