खुद को दर्द ये सोच कर देते रहे,
कि जमाने का दिया दर्द भूल जाएंगे,.
जमाने से बगावत इसलिए नही की,
कि जमाने से लड़कर कंहा जाएंगे,...
और बदला इसलिए नही लिया कि
जमाने की गलतियां नहीं दोहराएंगे,..
क्या पता था जो गलत न कह सके,
वो ही अब कायर कह कर बुलाएगे,...प्रीति सुराना
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