विविधता में एकता,
जिस देश की है पहचान,
बन कर रह न जाए कही,
मातृभाषा एक मेहमान,
अच्छा है बहु भाषा का ज्ञान,
पर इतना रखना है ध्यान,
हिंदी हमारी राजभाषा है,
न हो कहीं इसका अपमान,
क्यों लगती है यह हिंदी,
भाषा आज गरीबों की,
सरल सहज मीठी लगे,
हिन्दी को दो पूरा सम्मान,
भाषा बुरी नहीं होती कोई,
पर लेकर उन्नति का नाम,
हम क्यों ये भूल रहे है,
हिन्दी से है हिन्दुस्तान,.......प्रीति सुराना
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