Wednesday 1 August 2012

मेरी राखी


लो भैय्या मैंने बनाई है
बड़े प्यार से राखी 
अपने हाथों से बांधूगी
कल ऱक्षाबंधन के दिन
तुम्हारी कलाई पर हर साल की तरह,...
मैने ली है इसमें रेशमी डोर
ताकि इसमे पड़ी उलझनें 
गांठ पड़ने की बजाए 
आसानी से सुलझ जाए 
हमारी बचपन की लड़ाई की तरह,...
बस हमें रखनी होगी
थोड़ी सी सावधानी 
क्योंकि ये डोर नाजुक है
भावनाओ से बने हुए
बिल्कुल हमारे रिश्ते की तरह,...
इस बार मुझे उपहार नही
बस एक वचन चाहिए कि
तुम नही बदलोगे कभी
निभाओगे मेरा विश्वास 
हमेशा जिम्मेदारी की ही तरह,...
मैं हर पल मांगती हूं
ईश्वर से यही एक दुआ
मेरे भैय्या का जीवन 
महके,चहके और जगमगाए
मेरी राखी में टंके सितारों की तरह,.......प्रीति

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