मुझे
ये नही पता अब तक
कि
मेरे
लिए क्या हो तुम??
मेरी
जान या जिंदगी,..
मैंने
अब तक ये भी नही जाना
कि
मेरे
लिए ज्यादा क्या है??
तुम्हारी
अहमियत या जरूरत,..
क्योंकि
मैंने
अब तक ये नही समझा
कि
मैंने
क्या ज्यादा किया है??
तुमसे
मुहब्बत या इबादत,...
अब खुदा
खुद ही बता दे तो बेहतर है
कि
तुम
मेरे लिए क्या हो??
उसकी
इनायत या रहमत,................प्रीति सुराना
मुझे
ये नही पता अब तक
कि
मेरे
लिए क्या हो तुम??
मेरी
जान या जिंदगी,..
मैंने
अब तक ये भी नही जाना
कि
मेरे
लिए ज्यादा क्या है??
तुम्हारी
अहमियत या जरूरत,..
क्योंकि
मैंने
अब तक ये नही समझा
कि
मैंने
क्या ज्यादा किया है??
तुमसे
मुहब्बत या इबादत,...
अब खुदा
खुद ही बता दे तो बेहतर है
कि
तुम
मेरे लिए क्या हो??
उसकी
इनायत या रहमत,................प्रीति सुराना
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