अभी अभी गुजरा
एक अजीब सा लम्हा
मेरी जिंदगी की राह से
जिसमें
लबों पे हंसी
आंखों में नमी
दिल में सुकुन
जेहन में शिकायत
गुस्से की ओट में
प्यारा सा एहसास
कुछ पाने की खुशी
फिर भी मन उदास
तनहाई में बसा
किसी की मौजूदगी का विश्वास
यहां तो अकेली हूं मैं
फिर ये कैसा आभास
कौन है वो जो था
अभी अभी मेरे पास,........प्रीति
0 comments:
Post a Comment