अभी अभी रखा है
दर्द को समेट कर,
जो यहीं मेरे साथ
बिखरा पड़ा था,
छुपा के रख दिए आंसू
दिल के उसी कोने में,
जंहा पड़ी थी मुस्कान मेरी,
बस यही सोचकर,
उठा लाई हूं साथ अपनी मुस्कान,
कि इन आंसुओं के साथ
कैसे जाती
उनकी खुशियों की महफिल में,.......प्रीति सुराना
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