Saturday 17 March 2012

अभी अभी



अभी अभी रखा है 
दर्द को समेट कर,
जो यहीं मेरे साथ 
बिखरा पड़ा था,
छुपा के रख दिए आंसू 
दिल के उसी कोने में,
जंहा पड़ी थी मुस्कान मेरी, 
बस यही सोचकर,
उठा लाई हूं साथ अपनी मुस्कान,
कि इन आंसुओं के साथ
कैसे जाती 
उनकी खुशियों की महफिल में,.......प्रीति सुराना

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