तुम जो साथ चलने लगे
राहें आसान लगने लगी,
जितने भी गम थे तनहा से मन में,
तुम्हे साथ पाकर अब पिघलने लगे,
मगर हमारी आंखों में आंसूं भी है,
और फिर भी हम मुस्कुराने लगे,
हम भूलते नही गम अपना कभी,
पर तुम्हे हंसकर हम दिखाने लगे,
वो करके वादा फिर मिलने का,
और लौटकर तनहा जाने लगे,
मालूम था अब न आएंगे वो,
तब उसकी बातो से मन बहलाने लगे,
महसूस किया जब दर्द को,
तो पलकों पे आंसू आने लगे,
इंतजार देकर मुझे उपहार में,
बस हर पल अब याद आने लगे,...प्रीति
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