Wednesday 25 January 2012

एक कोना


हां!
जिंदगी में एक कोना ऐसा भी है, 
जो हर वक्त 
प्यासा-प्यासा,सूना-सूना
टूटा-टूटा ,खाली खाली तो लगता है,


पर सिर्फ तब तक,जब तक 
वक्त की छाई हुई धूल को झाड़कर
सुखद यादों के 
बंद पड़े साज़ को छेड़ते नही,


जब छेड़ते हैं इस साज़ को 
तो एहसासों की गुनगुनी धूप लिए
सूरज की लाली 
टूटे और अधूरे ख्वाबो से परे ले जाती है


और तब एक नई सुबह,
पतझड़ के बाद सावन की उम्मीद जगाकर 
जिंदगी में नए मौसम की आहट को 
महसूस करवाता है


फिर लगता है अब मिट जाएगी मन की प्यास,
मिट जाएगा सूनापन,
जुड़ जाएंगे सपने,
भर जाएगा खालीपन,


गूंजेंगे एहसास,

अब एक नई जिंदगी के,....प्रीति सुरानाअब एक नई जिंदगी के,....प्रीति सुराना

1 comment:

  1. bahut achi soch hai aapki
    verryyyyyyyy gooood work

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