एक प्यारी सी बगिया,ख्वाबों का गुलशन,
काश मैं बना पाती,देश को ऐसा चमन,....
न वहां गरीबी के कांटे होते,
न अमीरी की कोई गंध,
हर तरफ फैली होती,
समानता की सुगंध,
एक प्यारी सी बगिया,ख्वाबों का गुलशन,
काश मैं बना पाती,देश को ऐसा चमन,....
जंहा प्रेम की क्यारी में,
होते फूलों के कई रंग,
हिंदू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई,
सभी रहते संग संग,
एक प्यारी सी बगिया,ख्वाबों का गुलशन,
काश मैं बना पाती,देश को ऐसा चमन,....
एक मिशाल होती प्यार की,
पेड़ों पर फैली सुंदर बेल,
उसी तरह इस चमन में भी,
खुशियां ही खेलती सुंदर खेल,
एक प्यारी सी बगिया,ख्वाबों का गुलशन,
काश मैं बना पाती,देश को ऐसा चमन,....प्रीति
0 comments:
Post a Comment