Saturday 10 December 2011

दुल्हन


दुल्हन 
की 
पलकें झुकी सी,
वो धडकने रूकी सी,..
दिल में अरमां लिए, 
वो चाल थमी सी,..
ओढे़ है लाज की वो,
चुनरिया लाल धानी सी,..
आंखों मे आंसू है,
लब पे हंसी सुहानी सी,..
भाल पे तिलक है,
मांग है भरी हुई,..
पैरों में माहुर लगा,
हाथों मे मेहंदी रची,..
बिछुड़ने का गम है,
मिलन की खुशी भी,..
मिलेगा नव संसार,
द्वार पर डोली सजी,..
कदम अब बढ़ चलें,
आई विदाई की घड़ी,...प्रीति

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