तुमने कहा
धरती लाल, आकाश स्लेटी, वृक्ष पीले..
नीले रंग के घेरे में काला वंशीधर...
लो रंग आ गया जीवन में...
हां मैने ही तो कहा था,
जीवन हमेशा श्वेत-श्याम नहीं होता...
पर धरती लाल न होकर हरी,
आकाश स्लेटी न होकर नीला होता,
और वृक्ष पीले न होकर
हरे और रंग बिरंगे फलों व फूलों से लदे होते,
और ऐसे में पीतांबर पहने श्याम वर्णी वंशीधर आते,
तो प्रकृति की छटा खुशनुमा व निराली न होती,.....
क्यूंकि मुझे लाल धरती,
स्लेटी आकाश
और
सूखे पीले पड़े वृक्षों के पत्ते,
नीले रंग के घेरे में काले वंशीधर की
अनुपम छटा को कम करते हुए...
जीवन के श्वेत-श्याम रंग से भी,
ज्यादा फीके से लगते हैं,...प्रीति
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