Sunday 4 December 2011

क्षणभंगुर


हर क्षण में जिंदगी है,
हर क्षण में बंदगी है,
हर क्षण में कारण है,
हर क्षण में गति है, 
हर क्षण में गहरे राज़ हैं
हर क्षण का अपना ही अंदाज़ है,
समझने से  ज्यादा जरूरी 
मुझे ये लगता है,
कि हमे याद रहे,
कि
हर क्षण क्षणभंगुर है
इसलिए जरूरी नही 
कि
वो कल भी रहे जो आज है......प्रीति

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