Tuesday 29 November 2011

इंद्रधनुष




सुनो
मैं तुम्हे आसमान की उन उचाईयों पर
पहुंचा देखना चाहती हूं,..

जहां तुम्हारा नाम बादलों के बीच सूरज के पास
इंद्रधनुषी रंगो से लिखा हो ,..

और 

लोग तुम्हे निहारे पर जमीन पर लाने का साहस
फिर कभी न जुटा सके,..

लेकिन डरती हूं कहीं तुम वंहा पहुंचकर ज़मीन से 
अपना नाता न तोइ लो,....

पर 

मुझे तुम पर यकीन है तुम कभी ऐसा नही करोगे
क्यूंकि तुम्हारी जमीन मैं हूं

आकाश और जमीन  हमेशा साथ साथ चलते हैं
ये साथ क्षितिज तक होता है

और हां 
मैंने तो ये भी सुना है  
क्षितिज पर इंद्रधनुष सबसे खूबसूरत लगते हैं,....प्रीति सुराना

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