*सहचलन*
जितने नकारात्मक या बचकाने काम है
अकेली उंगली से हो जाते है
कनिष्का से कुट्टी करना या लघुशंका का इशारा,
अनामिका से नुक़्क़ीन बांधना
(यानि न छूने का इशारा)
मध्यमा दिखाकर गाली देना
तर्जनी से दोषारोपण
और अंगूठे से धत्ता दिखाना!
पर
कनिष्का से कहा की कलम पकड़ ले
अनामिका से अपेक्षा की कनिष्का का साथ दे
मध्यमा से निवेदन किया पन्ने पलट ले
तर्जनी से कहा मुझे मेरे दोषों से अवगत करा
अंगूठे से कहा तर्जनी से मिले बिना सब कुछ लिखकर बता।
सब ने एक स्वर में एक ही बात कही
कोई भी अच्छा काम किसी एक उंगली का नहीं है
दूसरी उंगली का सहारा लेना ही पड़ता है।
तब एकता और मुष्ठी के बल
और सहचलन के सिद्धांत पर
मेरा यकीन अटल हो गया
जो मैं नहीं कर सकती
वो हम करने की ताकत रखते हैं
विचारणीय है,...
यूँ भी कहावतें यूँही नहीं बनती
कहा गया है
*अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता*
*डॉ प्रीति समकित सुराना*
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