(कविता- नाम)
दर्द पर लिखा नहीं इल्ज़ाम किसी का
मेरे आँसुओं में बहा नहीं नाम किसी का
जो मिला वो मिला है सिर्फ नसीब से
अच्छा या बुरा ये नहीं काम किसी का
माना कौड़ियों में मेरे ख्वाब तौले गए
पर मैंने लगाया नहीं कभी दाम किसी का
मैंने बाँटा नहीं कभी जज्बातों को धर्म में
चाहे रहीम ही हो या फिर राम किसी का
अपने सभी खुशियों में शामिल रहे हरदम
मेरे गम में साथ आया नहीं नाम किसी का
मुश्किल से चुनी जाती है पाकीज़ा सी ज़मीन
चौराहों पे नहीं बनता कभी धाम किसी का
एतबार का अगर 'प्रीत' चाहो हिसाब करना
मत रखना लेखे-जोखे सुबह/शाम किसी का
प्रीति सुराना
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