Saturday, 30 March 2019

खुराक

असमय
रंग बदलते मौसम
उन पौधों और वनस्पतियों को
नुकसान पहुंचाते हैं
जिनका जीवन मौसमी होता है,..!
या फिर वो वृक्ष नष्ट हो जाते हैं जो नवजात हों,
जिनकी जड़ों ने अभी
जमीन पर पैर पसारे ही नहीं,...!

जिन वृक्षों ने
अपनी जड़ों को पहले मजबूत किया हो
और मौसमों को पल-पल बदलते देखा हो
पतझड़ों या आँधियों से डरते नहीं
बल्कि मौसमों की मार झेलकर भी
सही समय में फल-फूल-छाया
और प्राणवायु देने के
कर्तव्य के निर्वाह के लिए जीते हैं मरते हैं,...!

हाँ!
मैं करती हूँ याचना प्रकृति से
मेरी प्रकृति भी बनाना
उन्हीं गुणकारी वृक्षों की तरह
जो उम्र के बाद भी
अंत में ईंधन बनकर
समाज को कुछ न कुछ दे जाए,..!

मुझे प्रकृति से मिलती रहे
बस नेह और विश्वास की खुराक
जीती रहूँ जब तक,....!

प्रीति सुराना

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