हाँ!
मैं लहरों को देखती हूँ
और थाह पाना चाहती हूँ
सागर की गहराई की,..
कि
कभी समझ पाऊँ
मन में उठती
विचारों की लहरों के अन्दर
अपनी ही गहराई को भाँप सकूँ,...
सच
बहुत मन है मेरा
आज खुद को पहचानने का,...!
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हाँ!
मैं लहरों को देखती हूँ
और थाह पाना चाहती हूँ
सागर की गहराई की,..
कि
कभी समझ पाऊँ
मन में उठती
विचारों की लहरों के अन्दर
अपनी ही गहराई को भाँप सकूँ,...
सच
बहुत मन है मेरा
आज खुद को पहचानने का,...!
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