Sunday 10 February 2019

मिट्टी का पुतला

मैं तो वैसे ही मिली तुमसे,
मैं जैसी हूँ,
तुमने कभी जिक्र भी न किया
कि तरशोगे मुझे,
ये भी आज ही जाना
तुमने पहचाना ही नहीं मुझे,..

मिट्टी का पुतला हूँ,
विधाता का बनाया हुआ,
गढ़ सकते थे आसानी से
किसी भी सांचे में,
पत्थर समझकर
चोट पहुँचाने की जरूरत ही न होती,..!

प्रीति सुराना

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