पुकार
सेना की एक टुकड़ी जंगल मे डेरा डाले बैठी थी कि कहीं से कमांड मिले और टूट पड़े उन दरिंदों पर जिसने हमारे देश का हाल-बेहाल किया है। इस टुकड़ी को न राजनीति का अता-पता, न सोशल मीडिया की बातों से लेना देना, ये सिर्फ जान हथेली पर लिए उस एक पुकार के इंतज़ार में तैयार बैठे थे।
तभी सरहद पार से कायरों ने चंद मासूमों की लाशें हमारी मातृभूमि पर गिराई और एक सैनिक के दिल से चीख कर पुकारा। साथियों बचा सको तो बच लो अपना देश।
इस पुकार ने सेना की इस टुकड़ी को दहला कर रख दिया और रगों में खौलते लहू ने फिर किसी आदेश का इंतज़ार नहीं किया और सरहद में घुसकर चार के बदले चालीस दहशतगर्द मार गिराए, तिरंगा लहराया और जोर से कहा भारत माता की,... विजयी टुकड़ी की इस पुकार पर पूरा भारतवर्ष बोल पड़ा,... जय हिंद जय भारत।
प्रीति सुराना
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन कुछ बड़ा हो ही गया : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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