Monday 11 February 2019

अद्भुत पल(ताजा संस्मरण 11/2/19)

अद्भुत पल(ताजा संस्मरण 11/2/19)

कुँवर बेचैन ने कहा मेरे गीतों में प्रीति भी है और अन्तरा भी :)

           कभी-कभी जीवन में बिना किसी पूर्व सूचना के भी कुछ यादगार और खूबसूरत पल झोली में आ जाते हैं।
         हुआ यूँ कि आज बालाघाट में होने जा रहे कवि सम्मेलन में आ. Dr. Kunwar Bechain जी सहित कवि वृन्द का आना तय था। 1:30 बजे Golu भैय्या का फ़ोन दुकान के किसी काम से आया। आवाज़ ठीक से नहीं आ रही थी तो मैंने पूछा आप हो कहाँ, तो पता चला कि वो नागपुर से लौट रहे हैं और साथ में कवि कुंवर बेचैन, कमल मनोहर और कवयित्री अंकिता सिंह भी हैं और उनको लेकर घर आ रहे हैं। मुझे लगा आदतानुसार मजाक कर रहे होंगे। फिर भी 2:45 को मैंने फोन लगाकर पूछा सच में आ रहे हो न?
        और 15 मिनट बाद गाड़ी घर के सामने, और मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 5 मिनट कब 50 मिनट में बदले पता ही न चला। बच्चों (tanmay Jayti Jainam) ने माला और शाल से तीनो का स्वागत किया, मैंने अपनी किताबें सुनो,..बात मान की, दृष्टिकोण, कतरा-कतरा मेरा मन, और अन्तरा शब्दशक्ति(एक परिचय) सभी को भेंट की। जयति द्वारा बनाए गए स्केच अभी प्रकाशित Rajendra Shrivastava (गिलहरी) एवं DrChetna Upadhyay (बालकों की अदालत) बाल कविता संग्रह भी जयति ने सभी को भेंट दिए। स्वल्पाहार के साथ मेरे pet परिवार सिनी, टफी, टूटू और ट्वीटी के साथ मुलाकात फोटोग्राफी और खूब सारी साहित्यिक बातें हुई। समकित की अनुपस्थिति को भी सभी ने मिस किया और कुंवर बेचैन जी ने अप्रत्यक्ष आशीर्वाद दिया।
         बहुत खुशी हुई जब आ. Dr Kunwar Bechain जी ने आशीर्वाद देते हुए मुझे कहा कि साहित्य की ऐसी सेवा और महिलाओं और नवोदितों के लिए नए मंच से हो रहा यह प्रयास सचमुच सार्थक सोच और कदम है, हमेशा यूँ ही आगे बढ़ते रहो। कमल मनोहर जी ने भी बच्चों को विशेष स्नेह देते हुए साहित्य के इस नए रूप और प्रयासों की अनुमोदन प्रशंसा और हास्य में घुले मधुर संवादों से आशीष दिया। प्यारी सी मुस्कुराती हुई अंकिता ने भी fb पर जुड़ने और बात करने का वादा किया। कुँवर सर ने कहा वैसे बहुत थके हुए थे पर यहाँ रुकना सार्थक रहा, नींद भाग गई। कमल मनोहर जी ने कहा कि न रुकते तो इतने अच्छे पड़ाव से अनभिज्ञ रह जाते।
         कुल मिलाकर बहुत खूबसूरत पल फिर आने, फिर मिलने के वादों के साथ सभी ने विदा ली, स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण मेरा कवि सम्मेलन में जाना संभव नहीं था अतः मैंने भी क्षमा मांगी।
        एक स्वप्न कुँवर बेचैन जी से रूबरू मिलने का पूरा हुआ, वो भी इस तरह घर पर जो कभी सोचा ही नहीं था।
        सारा क्रेडिट गोलू भैय्या को क्योंकि उनकी वजह से ही ये संभव हो पाया। बच्चों का भी थैंक्स फ़ोटो के लिए जिससे ये पल हमेशा के लिए कैद हो गए जिंदगी के पन्नों पर।

प्रीति सुराना

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