बस 'मैं' का बंधन तोड़ दे
टूटे दिलों को जोड़ दे
होगा नही कुछ कलह से
बेवजह ऐसे तड़प मत
रोना रुलाना छोड़ दे
बस 'मैं' का बंधन तोड़ दे
टूटे दिलों को जोड़ दे
तुझको किसी ने पीर दी
छाले पड़े हैं और जो
चल आज सारे फोड़ दे
बस 'मैं' का बंधन तोड़ दे
टूटे दिलों को जोड़ दे
मत मार मन की प्रीत को
अब राह अपनी तू बदल
घर की तरफ रुख मोड़ दे
बस 'मैं' का बंधन तोड़ दे
टूटे दिलों को जोड़ दे,...
प्रीति सुराना
बहुत खूब
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