लो,.. दर्द का एक और दौर,..
जिंदगी में आया...... और आकर गुजर गया
सहेजा था खुशी के पलों में जिसे..
आज फिर से वो घरोंदा बिखर गया,..
टूटने नही दिए मैंने अपने हौसले,..
ना ही डरी मैं वक्त के इम्तिहान से,..
फिर जोड़ लूंगी तिनके-तिनके,..
इस यकीन से शायद मेरा,..वजूद और निखर गया,....प्रीति सुराना
दर्द का दौर गुज़र ही जाता है ...
ReplyDeleteaabhar apka,.. __/\__
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