क्या चाहते हो?
क्या सोचते हो?
कैसे मिलेगा सुख?
कैसे मिटेगा दुख?
क्या पाया?
क्या खोया?
कब सही थे?
कब गलत?
पूछना हर सवाल
जिसके लिए
जिम्मेदार दूसरों को ठहराते हो
जिसके जवाब तुममें ही छुपे हैं
रे मन!
एक बार मिलना खुद से
जब भी वक्त मिले
किस्मत को कोसने से,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना
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