पर खेल खेलते-खेलते
पता ही न चला कब सारे खेल
मोबाइल हो गए
चलते फिरते रिश्ते
चलती फिरती पढ़ाई
और तो और
मोबाइल पर ही हड़ताल
मोबाइल पर ही हक़ की लड़ाई!
बहुत सोचा तो पाया
मोबाइल जरुरी है
समय के साथ चलने के लिए
पर सिक्के का दूसरा पहलू
समय भी जरुरी है
खुद को जी भर जीने के लिए!
नई पीढ़ी
बेशक सिखाती है
अपने बड़ों को मोबाइल चलाना
पर धीरे-धीरे हम
इस तरह डूब रहें हैं
टेक्नोलॉजी के भँवर में
कि भूल गए
बच्चों को खिलाना, खिलखिलाना
और साथ बैठ कर बतियाना!
दोषारोपण
नई पीढ़ी, या टेकनोलॉजी को मत देना
गलती हमारी है
हमें आया ही नहीं
कल आज और कल में संतुलन बनाना!
रुको, संभल जाओ, देर नहीं हुई है
नए युग का टूट नहीं सकता रिश्ता पुराना!
सिखाओ आज की पीढ़ी को
मोबाइल के बाहर की दुनिया को
भावनाओं, सपनों और अपनों से सजाना,
खेल सच में खेलना, फुटबॉल के स्कोर सिर्फ मोबाइल पर मत बनाना।
हुनर को तराशना, हुनर को आजमाना, देर नहीं हुई है
समझना और समझाना!
डॉ प्रीति समकित सुराना
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