Thursday 21 January 2021

जीवन के 45वें पायदान पर

जीवन के 45वें पायदान पर

ये जीवन का
एक ऐसा पड़ाव है
जहाँ से
मुड़कर देख रही हूँ
तो पूरा जीवन दिखता है,..
बचपन, यौवन, प्रौढ़ावस्था!
खुशी-गम, सफलता-असफलता!
मिलन-विछोह, उहाफोह!
पाना-खोना, हँसना-रोना!
जिम्मेदारियों की गठरी!
कोई पुराना खिलौना!
रातों को जागना, बेवक्त सोना!
बेतुके सवाल, मजेदार बहाने!
अकेले रहने के गुप्त वाले ठिकाने!
श्रृंगार की बिंदी, नज़र का डिठौना!
यादों का संदूक, सपनों का हिंडोला!
ये
सब कुछ देखकर 
आज मन मेरा बोला,
जीया है जी भर
सुख था, या दुख था,
आभार ईश्वर और अपनों,..
जब भी तकलीफें आई
दुगनी क्षमता दी मुझे दर्द से लड़ने की!
जब भी कटे 'पर' मेरे
दिये अवसर ऊँची उड़ानों के!
खुश हूँ बसर करती हूँ 
अपनों के साथ
अपनों के दिलों में
अपने ही घरोंदे में अरमानों के,..!
मुझे कुछ नहीं चाहिए
बस आज 
यही आर्शीवाद मिले,
जब तक भी जियूँ
ये सफर ऐसे ही कटे,
*प्रीति* नाम सार्थक कर सकूँ,
नया उजास खुद में भर सकूँ,
जीवन के आगामी पायदानों में,
हिम्मत, आत्मविश्वास, स्वाभिमान कायम रहे,
शेष जीवन के पल-छिन, दिन और सालों में!

डॉ प्रीति समकित सुराना

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