तुम्हारा चेहरा
मेरा आईना है
जिनपर पड़ी
चिंता की लकीरों को हटा कर
मैं
पोंछ देती हूँ
कल की गर्द
संवार लेती हूँ
आज की शक्ल
और
संभाल लेती हूँ
आने वाला कल
क्योंकि
मुझे चिंता की लकीरों से भरा चेहरा
बदसूरत बना देता है
हाँ!
इसीलिए कहती हूँ
उम्रदराज़ हुए तो क्या
सीरत खूबसूरत हो तो भी
जरा सूरत पर भी गौर कर लिया करो
मेरी खातिर!
डॉ प्रीति समकित सुराना
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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