Thursday, 26 November 2020

तुम्हारा चेहरा

तुम्हारा चेहरा
मेरा आईना है
जिनपर पड़ी 
चिंता की लकीरों को हटा कर
मैं
पोंछ देती हूँ 
कल की गर्द
संवार लेती हूँ
आज की शक्ल
और 
संभाल लेती हूँ
आने वाला कल
क्योंकि
मुझे चिंता की लकीरों से भरा चेहरा
बदसूरत बना देता है
हाँ!
इसीलिए कहती हूँ
उम्रदराज़ हुए तो क्या
सीरत खूबसूरत हो तो भी
जरा सूरत पर भी गौर कर लिया करो
मेरी खातिर!

डॉ प्रीति समकित सुराना

2 comments: