चाहतें, कर्तव्य और सपने यूँही छोड़े नहीं जाते।
बहाव भावों की नदियों के यूँही मोड़े नहीं जाते।।
मेरे कुछ ख्वाब है ऐसे, मंजिल दूर है जिनकी,
मगर जो चल पड़े इक बार, सफर छोड़े नहीं जाते।
मन बेचैन सा फिरता, है जाने सोचता क्या-क्या,
पहुंचता है वहाँ भी ये, जहाँ घोड़े नहीं जाते।
बड़ा है बावरा ये मन, कुछ सुनता नहीं मेरी,
समझता ही नहीं नाते, सबसे जोड़े नहीं जाते।
चाहतें, कर्तव्य और सपने यूँही छोड़े नहीं जाते।
बहाव भावों की नदियों के यूँही मोड़े नहीं जाते।।
बताती हूँ इसे हर बार, ये हरदम भूल जाता है
मन से मन के हो जो रिश्ते, वो यूँही तोड़े नहीं जाते।
जो अपने हैं रहेंगे साथ, जो नहीं अपने वो जाएंगे,
अधिकतर छोड़ जाते है, मगर थोड़े नहीं जाते।
चाहतें, कर्तव्य और सपने यूँही छोड़े नहीं जाते।
बहाव भावों की नदियों के यूँही मोड़े नहीं जाते।।
जो जाते हैं वो दे जाते हैं, गहरे घाव कुछ हमको,
दर्द होता है जिनमें पर, वो फोड़े नहीं जाते।
बनाया है इस मन को, प्रीत कुदरत ने कुछ ऐसा,
समय करता है जब निर्णय, तो मुँह मोड़े नहीं जाते।
चाहतें, कर्तव्य और सपने यूँही छोड़े नहीं जाते।
बहाव भावों की नदियों के यूँही मोड़े नहीं जाते।।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
सुन्दर सृजन
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