Tuesday, 25 August 2020

मेरा होना

मेरा होना अब कैद है
अनियमित धड़कनों
आंखों के काले घेरों
लड़खड़ाती अस्पष्ट आवाज़ों
टूटते हुए ख्वाबों की पीड़ाओं
और
बामशक्कत पलकों की कोरों में
रुककर सूखे हुए आंसुओं
रिसते हुए रिश्तों
घटते हुए आत्मविश्वास में
मेरे होने के दीये में
इस उम्मीद की लौ के साथ,...!
जैसी भी हूँ, जब तक भी हूँ
जिंदा नहीं हूँ बल्कि जी रही हूँ 
पल-पल जी भर
और मानती हूँ
यही है दुनिया में सहीं मायने में मेरा होना
और मुझमें जिंदगी का होना
कब तक ये वो जाने,..है न!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

1 comment: