Thursday, 20 August 2020

हाँ! मैं माँ हूँ

मैंने जन्म लिया
तो जन्म दिया बहुत सारे रिश्तों को
मेरे मम्मी-पापा का जन्म भी ठीक उसी दिन हुआ
क्योंकि उन्हें सबसे पहले
ये रिश्ता मेरे जन्म लेने से मिला।
फिर मायके के अनगिनत रिश्ते से जुड़ी मैं 
सबसे पहले मम्मी-पापा की बेटी,
फिर
माँ की पोती, माँ की दौहित्री, मामा-मसियों की भांजी, 
भाई-बहनों की जीजी, 
किसी की बुआ, किसी की मासी, किसी की साली,
किस की नानी, किसी की दादी,..और किसी की सखी,
क्योंकि हमारा परिवार बहुत बड़ा है,..।
और इसी बड़े से परिवार ने सिखाया,
सुख दुख बांटना, साथ रहना, सबसे अपनापन, और सब पर विश्वास,..
फिर एक दिन बाबुल के आंगन से पिया के आंगन तक का सफर तय किया,
खुशकिस्मती ये कि हमारा ये परिवार भी बहुत बड़ा है,
पत्नी 
बनते ही मानो दुनिया ही बदल जाती है,
किसी की बहू, किसी की भाभी,
किसी की चाची, किसी की मामी।
फिर एक दिन मिलता है वो रिश्ता जो औरत को संपूर्णता देता है
और मैं बन जाती हूँ माँ!
माँ 
एक ऐसा रिश्ता जिसमें मातृत्व सिर्फ अपने बच्चे तक नहीं बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के लिए जागृत होता है,
माँ मानो अपने अंदर के मानव को मातृत्व से भर देता है।
सबसे सुखद होता है एक दंपति के दांपत्य का माता और पिता के रिश्ते में बंध जाना,..!
नाम से प्रीति और मातृत्व से परिपूर्ण मन को ईश्वर ने अनेक संबोधनों में बांधा।
आज माँ, मम्मी, मम्मा, माते, मॉम, भाभी माँ, बई कहकर पुकारने वाले सारे बच्चे जिन्हें मैंने जन्म दिया या न दिया लेकिन प्यार आत्मा से दिया
मातृत्व का यह रिश्ता पीढ़ियों के साथ बढ़ता जा रहा है 
और बढ़ता जा रहा है मेरा परिवार!
सभी बच्चों को ढेर सारा प्यार, खुश रहे हमेशा मेरा परिवार।

और इन्ही दुआओं के साथ "आव्या" को और चिंटू-दिव्या को मम्मी पापा के रूप में जन्म लेने की ढेर सारी बधाई शुभकामनाएँ।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

2 comments: