Thursday, 30 July 2020

तय नहीं कर पाते हम

मन की कच्ची मिट्टी को हल्की-हल्की थापों से गढ़ा जाए,
चलो कुछ देर सिर्फ घुमड़ते हुए भावों को ही पढ़ा जाए,
तय नहीं कर पाते हम आसानी से शिखर सफलता का,
दौड़कर थकना क्यूं है, क्यूं न संभलकर आराम से चला जाए।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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