Saturday 11 July 2020

प्रिय पेंसिल

तुम हो मेरी 
सबसे बड़ी शुभचिंतक,
तुम ही हो 
मेरे जीवन की मार्गदर्शक,
तुम देती हो अवसर 
कई-कई बार 
गलतियों को सुधारने का,
जब तक मिटा-मिटाकर
फट न जाएं पन्ने जीवन के
तुम मेरे कर्मों की सटीक 
आलोचक और नियामक!
बनी रहना यूँ ही मेरी मित्र मेरी नियंत्रक!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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