मैं सोचती हूँ ये हर घड़ी
कि मैं तुम्हें क्यों सोचती हूँ
जबकि जानती हूँ तुम्हें
तुमसे बेहतर
सबसे ज्यादा
सबसे करीब से
कि तुम कुछ भी नहीं हो मुझसे अलग!
क्या
तुम जानते हो?
तुम हो मेरे ही भीतर
क्या तुम्हें याद है
तू वो हो जो मुझे जानता है मुझसे ज्यादा
जो देता है सुख, हरता है दुख
देता है दर्द सहने की ताकत
संभालता है मुझको
मुझसे ज्यादा बेहतर
भीतर रहकर भी पूरी करता है
मेरी हसरत
कसकर अपनी बाहों में
रखने देता है सीने पर सिर
रोकता नहीं मुझे कभी रोते हुए
हँसता है हर घड़ी मेरे साथ मेरी हर खुशी पर!
सुनो!
तुम सब सुन रहे हो न अभी भी!
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
0 comments:
Post a Comment