Sunday 7 June 2020

निश्चयवाद



फूल जब-जब चुने तब-तब कांटों को सहज स्वीकार किया,
सुख की अपेक्षा की जब-जब, तब-तब दुखों पर विचार किया,
ये जीवन है, और जीवन का यही है निश्चयवाद, निर्विवाद,
तोड़कर कुछ भी किया हासिल तो लहू ने बहकर प्रतिकार किया।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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