1920 पेज की
(2.5 किलो का हाथ नहीं🤣😝)
ये 2.5 किलो की किताब है। अन्तरा शब्दशक्ति की ऐसी कृति जो कोरोना लॉकडाउन आपातकाल की यादगार धरोहर के रुप में हमेशा के लिए लिखित दस्तावेज के रूप में रहेगी।
🙏🏼💐🎂🎈🎁🍫❤️🎉
मेरा एक साकार सपना हमेशा के लिए लिपिबद्ध हुआ,....!
पलकें भीग रही है मेरी लेकिन खुशी से,
सपना देखती हूँ पर मेरी जिंदगी है उसी से,
लाख दर्द उठाए, ठोकरें भी समय ने दी कई,
पर जितना भी हौसला है आज, सब है उसी से।
संस्थापक
अन्तराशब्दशक्ति
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
0 comments:
Post a Comment