Sunday 7 June 2020

सच पूछो तो

सच पूछो तो
अब भी नहीं जानती 
मैं खुद को
पर खुदगर्ज़ इतनी हूँ
कि जानना चाहती हूँ
दुनिया की तमाम बातें
यही तो देखती हूँ आसपास
खुद के शीशे के घर 
और हाथों में पत्थर
नज़र औरों की जिंदगी पर
अफसोस करुँ कि ये बुरा लगता है
या
खुश हो जाऊं कि दुनिया को यही अच्छा लगता है,..!
सच पूछो तो खुश नहीं हूँ
सच पूछो तो खुद को कम जानती हूँ दुनिया से
और ये भी नहीं जानती
कि दुनिया इतना कैसे जानती है मुझे?
सच पूछो तो खुद को जानना चाहती हूँ
दुनिया से भी ज्यादा
बल्कि वो दुनिया जानकर भी समझ नही पाती
सच पूछो तो समझना चाहती हूँ खुद को 
दुनिया से बहुत-बहुत ज्यादा,..!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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