Sunday 24 May 2020

तुमको देखे हुए

तुमको देखे हुए आज इक अरसा हुआ
मन का मौसम भी है आज तरसा हुआ
भीगी-भीगी पलकों ने बताया अभी
आंखों का सावन भी है बरसा हुआ

हो सके तो मिल लो आकर मुझसे
कहीं खो न जाऊँ तुमको भुलाकर
आज मन मेरा है बहुत भड़का हुआ
तुमको देखे हुए आज इक अरसा हुआ

दर्द है बहुत और कमजोर हूँ मैं
संभालूं मैं खुद को ये मुमकिन नहीं
दिल में तुम हो पर दिल टूटा हुआ
तुमको देखे हुए आज इक अरसा हुआ

हूँ बहुत मैं विकल और लाचार सी
बातें किताबी नहीं है ये व्यवहार की
करती हूँ महसूस खुद को लूटा हुआ
तुमको देखे हुए आज इक अरसा हुआ

माना गढ़ा है तुमको बस कल्पनाओं से
पर सुनो! तुम जुड़े हो भावनाओं से
आज है मन मेरा जिद पर अड़ा हुआ
तुमको देखे हुए आज इक अरसा हुआ

मन का मौसम भी है आज तरसा हुआ
भीगी-भीगी पलकों ने बताया अभी
आंखों का सावन भी है बरसा हुआ।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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